Monday, January 16, 2017

Himalaya-Journey to Kedartal from Gangotri in two days (Part-3)

                                            अपनी दुनिया छोड़,   चले कृतिम दुनिया की और

जय केदार 

केदारताल की वह अध्भुत यादे लिए हम वापस केदारखडक की और चल दिए , समय अभी 11A.M. हो गए थे। और यहाँ से  21km का सफर तय करना  और lunch भी करना था बीच में , सो समय का आभाव था। धुप काफी तेज़ थी और आसमान में बादल दूर दूर तक नहीं थे। हम तीनो ने काफी तेज़ी से नीचे उतरना शुरू किया और पहला बार हम हमने 1 घन्टे बाद रुके और कमाल की बात की हमने ग्लेशियर पार कर लिए थे जो की काफी कठिनाई वाला रास्ता था। थोड़ा चॉक्लेट और पानी पीया और हम ने पीछे केदारताल की तरफ देखा। .. हम आश्चर्य चकित हो गए। .. थलयसागर और अन्य सभी चोटिया बादलो से ढक हम एक भी पहाड़ को नहीं देख सकते थे , मौसम ने जबरदस्त करवट ली और हम भी समझ  गए की जल्दी से वापसी में ही भलाई है।
वापसी केदारखडक आने पर 

सही 1 P.M  हम केदारखडक पहुच गए और दोपहर का खाना तैयार था। बड़ी ही शांति और सकून मिला वापसी में और फिर गरमा गरम खाना खाने को मिल गया। .वह क्या बात है ऊपर वाले की बड़ी कृपा है , आगे भी बनी रहे यही प्रार्थना है। थोड़ी थोड़ी बर्फबारी शुरू हो गयी थी  लेकिन जब तक हम चलने को तैयार हुए, बर्फ़बारी बंद हो गयी। हवा में नमी कम नहीं हुई थी जो संकेत था की बर्फ़बारी  फिर से जरूर आएगी।

शानदार नज़ारा 
खेर हम बिना देर किये 2:15 P.M. केदारखडक से चल दिए अभी वापसी के 5 मिनिट ही हुए थे की जो परिवार कल मिला था शुरुवात में यात्रा के उसके पोर्टर्स मिल गए उसी खतरनाक मोड़ पर जहा पहाड़ सरक गया था और मेने नकुल और पंकज का इंतज़ार किया था शाम को। एक ग्रुप फोटो ली वहा  पर हमने और आगे चले तो देखा अब एक पोर्टर पिट्ठू बन कर उस 6 साल की बच्ची को लेकर आ रहे थे और उनके माता पिता 100 मीटर पीछे चल रहे थे। खैर छोटे बच्चे के हिसाब से बहुत ही ज्यादा कहतीं ट्रेक है ये। उनको 3 चॉकलेट और एक जूस का डिब्बा देते हुए उनका हाल चाल पूछा और आगे चल दिए।  दोबारा से वह खतरनाक खिसका हुआ पहाड़ पार करना था और ऊपर से पत्थर जो भयंकर गति से आते थे उनसे भी बचना था और साथ में नदी भी। विडियो में एक झलक है इस हिस्से की भी।

तीनो भाई एक साथ 

अब चलते चलते हम भोजखडक पहुचने वाले ही थे की इतने में बर्फ़बारी शुरू हो गयी और कुछ ही पल में सब कुछ सफ़ेद हो गया। कुछ भी नहीं दिख रहा था इतनी घनी बर्फ़बारी  हो रही थी। इस साल की नवम्बर में इस घाटी की पहली बर्फबारी। प्रकर्ति माता ने अपने बच्चो का पूरा धयान रखा। अब कुछ फोटो और विडियो साथ में बनाते रहे और जैसे ही स्पाइडर वाल  आयी , साथ में समझदारी से सभी ने पार किया। इतने में मनु गाइड और पोर्टर्स भी सारा सामान लेकर आ गए और मेने एक वायरलेस सेट नकुल को दिया और मनु के साथ आगे चल दिया।
बर्फ़बारी शुरू हो गयी थी 
बहुत ही मजेदार और अलौकिक यात्रा चल रही थी । बीच बीच में नकुल और पंकज का हाल पूछ लेया था वायरलेस सेट पर , और आगे चलता रहता। लकड़ी का एकमात्र पुल पार करने के बाद पैरो  में थकान वाले कोई लक्षण नहीं थे। मन ही मन सोच रहा था की क्या इसी रस्ते से आये थे ,क्योकि बड़ी खड़ी चढ़ाई थी और उतरने में ही इस बात का आभास हो रहा था। आखिर दिन ढल चूका था और मेने हमेशा महसूस किया है की जैसे ही दिन ढलता है शरीर की ताक़त भी एक दम से कम होने लगती है। शाम 6 बजे ही अँधेरा  हो गया था और में भी लगभग गंगोत्री धाम पहुच गया था।
सूर्य कुंड 
सही 6:30 P.M पर में पार्किंग में आ गया और मनु ने दोनों नेपाली पोर्टर भाइयो को बुलाया और सामान कार में रखवाया। उनको फिर कुछ रूपया अपनी तरफ से मेने दिया और कहा की मई में फिर से आऊंगा तपोवन के लिए तैयार मिलाएगा।

सही 50 मिनट बाद नकुल और पंकज  भी आ गए। फिर होटल में 5 मिनिट  रुक कर खाने के लिए आ गए।  बहुत भयंकर भूक लगी थी , ना जाने कितने खा जाऊँगा , ऐसी भूक लगी थी। होटल वाले ने देखा और पानी गिलास में डालते हुए पुछा " क्या भईया , नहीं गए क्या केदारताल " .. में छोटी सी मुस्कान के साथ बोला " हो आया केदारताल से " , इतना कहते ही दोनों हँसे और २-४ फोटो दिखायी बैरे को. मन भर के खाना खाया और फिर वापस चले रूम की और। होटल पुरोहित वाले भाई को उनका पेमेंट किया और कह दिया की फिर से मई में आऊंगा।

सामान पैक ही था लेकिन एक नया शगूफा आ गया पंकज का " भाई बेटे को कल रावण जलते हुए दिखाना है "
अब यह रावण कहा से आ गया----- चल भाई में कभी नाराज़ नहीं करता किसी को लेकिन कोशिश रहेगी की आप ८ बजे तक ग्रेटर नॉएडा पहुच जाओ तभी ये कोशिश संभव होगी।  इसिलए प्लान बना सुबह ४ बजे गंगोत्री से चलने का। लेकिन मेरे को अगर सुबह जल्दी उठना होता है किसी कारण वश तो मुझे रात भर नींद नहीं आती और हुआ भी ऐसा ही।  सुबह 3:30 पर उठा और नहाने के बाद बैग उठाया और बोला की में गंगोत्री माता  से आशीर्वाद लेने जा रहा हु नीचे मिलो , दोनों भाई भी साथ हो लिए 2 मिनिट में । अभी गंगोत्री मंदिर बंद ही था क्योकि 4 ही बजे थे और ठण्ड अच्छी थी , लेकिन जहा भक्त वहा भगवान और परमात्मा ने सुनी और साथ में ही परमात्मा शिव जी के मंदिर था जिसके दरवाजे बंद नहीं थे।  बस फिर क्या जूते  उतारे और एक लोटा ढूंडा और नीचे नंगे पैर गंगा जी से जल लेने चल दिया। जो हालात हुई पैरो और हाथो की , ऐसा लगा जैसे कट गयी हो इतनी जबरदस्त चीस लगी।

परमात्मा को जल अर्पण किया और जयकारे लगा कर आशीर्वाद लेकर चल दिया। सही 4:30 बजे हम गंगोत्री धाम से निकल लिए और सीधा भैरो घाटी पर भैरो जी के दर्शन के लिए रुके। यहाँ भी वही हाल सुबह के 5:15 बज रहे लेकिन पंडित सो रहा और गेट पर लॉक लगा हुआ था। खैर कोई नहीं , मंदिर में नीचे से  जयकारा लगाया और आगे चल दिए।
यादगार मील का पत्थर 
धराली से पहले लंका  मील का पत्थर है जिस पर 7 KM लिखा है  व्यू पॉइंट भी बनाया हुआ है। यहाँ पर सुबह सूरज की पहली किरणे सामने के पहाड़ की चोटी पर दिखी।

धराली में बूढा केदारनाथ जी का मंदिर है यहाँ पर भी आशीर्वाद लेने का मन हुआ और कुछ अच्छे फोटो लिए।और न जाने यहाँ काफी ठण्ड लगी। इसके बाद हम बिना रुके उत्तरकाशी तक चलते रहे।
बूढ़ा केदारनाथ जी मंदिर 

उत्तरकाशी जब हम पहुचे तो रावण के जलने के टाइम के अनुसार , हम समझ गए की हम नहीं पहुच सकते ग्रेटर नॉएडा टाइम पर। लेकिन फिर भी हम ने वह से फल ,नमकीन  और माजा की बोतल ली जिससे थोड़ा टाइम ख़राब न हो , आखिर बच्चे के उत्साह  थी। किसी तरह हम शाम के 4  बजे तक ऋषिकेश पहुचे और हमेशा की तरह जो ट्रैफिक जैम मिला , मन करता है की कभी आऊ ही ना ऋषिकेश की तरफ , लेकिन कोई और कोई सही रास्ता भी तो नहीं है ।

5:30 होने को आये लेकिन हरिद्वार से न निकल पाए इसीलिए पंकज ने उसकी धर्मपत्नी को फ़ोन किया और कहा की तुम ही आदि को रावण दिखने ले जाओ। ... पुरे रास्ते एक बार भी रामलीला शब्द नहीं बोला बस रावण जलता हुआ दिखाना है। .हा हा हा कमाल है। ..खैर 6:30 बजे तक हम तीनो केवल फल और माज़ा के सहारे चलते रहे और रुड़की आकर हमने खाना खाया। लगभग 9:00 बजे रात को हम तीनो घर पहुच गए और कॉफी पी कर पंकज नकुल उनकी कार से ग्रेटर नोएडा के  लिए चले गए ।

सुबह की किरणे @ धराली 

व्यू पॉइंट से सूर्य की किरणे देखि सामने के पहाड़ की चोटी  पर 

हैलीपैड @ हर्षिल 

व्यू पॉइंट पर एक बोर्ड। .. सब कह देता है। .पंकज और नकुल 


साल 2016 की सभी यात्रा के फोटो देखने के लिए :Sunny MalikGallery - Sunny Malik

अंग्रेजी भाषा  में केदारताल यात्रा के सभी भाग पढ़ने के लिए :The Himalayan Blog - A Journey of Adventure

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केदारताल का विडियो देखने के लिए :





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