Wednesday, February 15, 2017

एक तूफानी सफर,पहला इंसान जिसने दिसम्बर महीने में सच पास पार किया,मोटरसाइकिल पर ( भाग -3 )

                  -----------------  जिंदगी में खुश रहना है तो, दिल की सुनो ----------------------------  
मुसाफिर 

आज तीसरा दिन था यात्रा का और शायद सबसे आराम भरा , लेकिन दुनिया की सबसे खतरनाक रोड पर बाइक चलाने का अनुभव लेना बाकि था , क्या सही में यह सबसे खतरनाक है भी।

सुबह नहाने के बाद होटल के मालिक ,जो आर्मी से थे ,उनके साथ एक विडियो ली और नीचे आ कर बाइक की चैन पर धीरेन्द्र ने एक स्प्रै किया जो ग्रीस का काम करता है और फिर नाश्ता करने के लिए मनोज वैष्णो ढाबा पर रुके जो मात्र 100 मीटर पर ही था और उसको परांठा खाने ने बाद कल के भयंकर और खौफनाक रास्ते के बाद पेट्रोल भरवाने का निर्णय लिया और किल्लाड़ के एकमात्र पेट्रोल/डीजल विक्रेता से पेट्रोल लिया और निकल पड़े अपनी तीसरे दिन की यात्रा पर। लगभग 3 किलोमीटर ही चले होंगे तभी सामने से एक बस आयी और हमे बचने के लिए बाइक को वापस मोड़ कर सही जगह आना पड़ा जिससे बस निकल सके। इससे ये अंदाजा हो गया था की रास्ता काफी मुश्किल हो अगर जुलाई-अगस्त में आया होता ,क्योकि उस समय सीजन होता है घूमने वालो का।
मनोज वैष्णो ढाबा 
रेतीला  रास्ता  और कुछ किलोमीटर बाद एक जगह पहाड़ खिसका हुआ था जिसको जेसीबी वाले हटा रहे थे, तो लगभग 20 मिनट बाद हम आगे बढ़ते रहे नदी के साथ साथ। रास्ता में बस बर्फ जमी हुई नहीं मिलने वाली थी और इसी चीज़ का सकूँन था बस, नहीं तो रास्ता भयंकर ख़राब और पत्थर से भरा जिसमे इन्सान की कमर की बैंड बज जाये। यहाँ एक जगह आयी जहा पर आतंकवादियो ने 35 लोगो को एक साथ मार दिया था जिससे ये रास्ता ना बन सके क्योकि किश्तवाड़ और डोडा में सबसे ज्यादा आतंकवादी गतिविधियां होती है। फिर एक चौकी आयी हिमाचल पुलिस की , उन्होंने हमारे पेपर की जानकारी रजिस्टर में ली जैसे की लाइसेंस, बाइक का इन्सुरेन्स ,पोल्लुशन। फिर आगे बढ़ते रहे और हमे एक लकीर सी दिखी पहाड़ में जिसको कहा जाता है सबसे खतरनाक रोड , क्योकि संकरी  रोड है और खाई 150-200 मीटर कम से कम। मतलब यु की, अगर बदकिस्मती या लापरवाही के चलते खाई में गिरे तो हवा में ही प्राण निकल जायेंगे, इतनी गहराई में गिरने से पहले ही दिल के दौरे पड़ने से मौत नहीं तो नीचे पहुँच कर तो सौ प्रतिशत सीधा भगवान से मुलाकात।
थोड़ी तो हवा टाइट होती है 
बाइक चलाना 10 साल पहले ही छोड़ दिया था इसिलये शौक़ नहीं और जैसे की मुझे ट्रिप के फोटो और विडियो बनाने का शौक है तो मेने अपनी बाइक योगी भाई को दे दी और राकेश के साथ हो लिया। अब जैसे ही खतरनाक रोड शुरू हुई मेरी और राकेश की हँसी ना बंद हो, डर के मारे और कही कही तो राम राम राम मरा मरा मरा निकलता था (मजाक में ) . दरासल रोड की चौड़ाई कम नहीं है जितना की उसके साथ में खाई की गहराई का खौफ होता है। बाइक के लिए तो कुछ भी खतरा नहीं लेकिन गाड़ी में तो भाई जी कसम से दिल गले में रहता।  इसीलिए शायद हो पाया तो जुलाई में सच पास कार से करूँगा और फिर इस रोड से होता हुआ लेह लदाख जाऊँगा सम्मिट के लिए।
धागे जैसे रास्ता 
रास्ते में पानी और मस्त मजा बांध देता है जिससे डर लगता है की कही टायर न फिसल जाये। बीच में एक बहुत ही विशाल और शानदार झरना आता है जो पहाड़ की चोटी से  निकलता है और पहाड़ के पत्थर पर फिसलता हुआ नीचे आता है ये नज़ारा सच में मन मोह लेता है , विडियो में है उसकी झलक।सफर अगर कार में होता तो वास्तिविकता में खतरनाक है क्योकि कार के आगे अगर बाइक भी आ जाये  तो बचने की जगह नहीं होती काफी दूर तक और गाड़ी आ जाये तो चंद्रताल के रास्ते की तरह दूर से ही जगह ढूंढ ले पास देने के लिए नहीं तो मुसीबत के लिए तैयार रहे।
झरने के नीचे 
इतना रास्ता ख़राब है क्या बताऊ मेरी बाइक का साइलेंसर का बोल्ट निकल के भाग गया कही और योगी भाई ने चिल्ला कर रुकने को कहा। अब समस्य को देख यह सोचने लगे की क्या करे इतने में धीरेन्द्र आया और बोला भाई मेरे पास है ये बोल्ट।  हम तीनो ने ख़ुशी के आँसू वाले तरीके से उसकी तरफ देखा क्योकि हमारे पास तो एक तार भी नहीं था जिससे बांध सकते।  जब भाई ने अपना बैग खोले तो क्या देखता हु की वो तो पूरी दुकान लेकर चल रहा था , ना जाने कितने  तरीके के बोल्ट,तार,नट,क्लच प्लेट ,बैरिंग, ब्रेक शू और ना जाने क्या क्या। धीरेद्र बड़ा ही मस्त और साफ दिल का लड़का है और वो लेह , नेपाल , भूटान भी बाइक से कर चूका है इसीलिए उसके पास बुलेट का बहुत तजुर्बा है।
बोल्ट लगाते हुए 
इस खतरनाक रोड को पार किया और बताऊ तो आगे 3-4 जगह ऐसी आयी जहा बुलेट को भी धक्का लगाया चढ़ाई पर। चलते चलते नोगाँव  15 किलोमीटर पहले शानदार रोड शुरू हुई जो केवल नोगाँव तक ही थी उसके बाद बहुत ख़राब रोड थी।  नोगाँव में शानदार स्टेडियम बनाया हुआ है क्रिकेट का और एक अच्छा गोम्पा  बुद्धिस्ट धर्म का। यहाँ पर हम 2:30 बजे के आस पास पहुँच गए और फिर एक मोड़ पर धीरेन्द्रे बाइक के साथ लेट गया , दरासल सामने से कार आ गयी और मोड़ काफी खड़ा था तो उससे बचने के चक्कर में रोड से नीचे बायीं तरफ पत्थर होने के कारण फिसल गयी।  आज भी समय काम होने के कारण कुछ नहीं खाने का फैसला लिया और किश्तवाड़ में एक जगह आर्मी  अपने रजिस्टर में एंट्री की और जाने दिया कुछ हिदायत दी चौकना रहने जैसी। मुझे रस्ते याद रहते है रास्ते में आने वाले  शहर के नाम नहीं।
बीच में कही 
अब पटनीटॉप बहुत दूर था  डोडा में कोल्ड ड्रिंक खजूर और चिप्स खाये केवल और अभी लगभग 90km और बचे थे, ऊपर से  रोड साथ नहीं दे रही थी। आखरी 40 km अँधेरे में पुरे किये शुक्र है ठण्ड ज्यादा नहीं लग रही थी। लगभग 7 बजे पटनीटॉप आ गए।  जदोजहद होटल में कमरे की शुरू।

मैन हाइवे से पटनीटॉप को ऊपर जाने का जो रास्ता है वही पर 4 -5 होटल है हमने उनमे से एक जसका नाम स्नो व्यू पॉइंट है उसमे दो कमरे लिए वैली की तरफ के जिससे सुबह नज़ारा तो देख सके।  होटल का किराया 800 रूपया था। और उसी के पास एक बढ़िया वैष्णो ढाभा वाला और बहुत ही अच्छा स्वादिस्ट खाना खिलाया। एक ही बात कही उससे जो भी लाना दो लाना सुबह से कुछ नहीं खाया  , मन भर के खाया। फिर वापस एक कमरे में विश्वप्रसिद्ध ताश का द्वंद्व युद्ध शुरू और आज योगी भाई नहीं हारे। आज धीरेन्द्र 4 पायदान पर गर्व से विराजमान हुआ।  सुबह राकेश और योगी को धर्मशाला जाना था इसीलिए अलग अलग निकलने का फैसला लिया क्योकि मेरे को माँ वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जाना था क्योकि काफी समय से माँ ने अपने दरबार बुलाया था  जबकि हर महीने कही घूमने या यात्रा पर जाता हु लेकिन 9 साल पहले परिवार संग दर्शन किये थे और जब से वैष्णो माँ का बुलावा नहीं आया था और यह सब यात्रा माँ ने अपने दर्शन देने के लिए ही रची थी। 

उम्मीद है आप सभी को यात्रा वृतांत अचछा लगा होगा। 


सावधानी और सुरक्षा सबसे पहले ...... जीवन है तो समय ही समय है

youtube channel link: Vikas Malik – YouTube

IF U LIKE MY VIDEOS KINDLY DO SUBSCRIBE MY YOUTUBE CHANNEL




कुछ तो खास है झरने में 
किश्तवाड़ की तरफ 
यहाँ गोम्पा और क्रिकेट का शानदार ग्राउंड है 

काली रोड आते ही आराम किया 
यहाँ  अच्छी मशकत होती है बाइक की 
शानदार नज़ारे 
पेट्रोल भरवाने के बाद किल्लाड़ गेट से 
जम्मू कश्मीर सीमा शुरू। .यही पर चौकी है हिमाचल पुलिस की 
विशाल सुन्दर झरना 


13 comments:

  1. यह यात्रा किश्तवाड की ओर मैंने अभी तक नहीं की है। देखते है कब मौका लगता है।

    ReplyDelete
  2. बहोत ही खतरनाक रास्ता है भाई

    ReplyDelete
    Replies
    1. Ji, Rasta khatarnak hai aur season time par to kafi jayada hota hai ..

      Delete
  3. बहोत ही खतरनाक रास्ता है भाई

    ReplyDelete
  4. भाई जी बहुत ही शानदार यात्रा रही।

    ReplyDelete
  5. शानदार जानदार जबरदस्त

    ReplyDelete

नेलांग घाटी (तिब्बत जाने का प्राचीन रास्ता और उत्तरकाशी में जानने वाले टूर ऑपरेटरो की लूट) की जगह दयारा बुग्याल की यात्रा (भाग-1)

जब आपके साथ कोई यात्रा करता है तो उसकी सुरक्षा की  जिम्मेदारी आपकी होती है , किसी को छोड़ कर मत भागिए  ग्रतंग गली -नेलांग घाटी, फोटो सौजन...