Wednesday, May 3, 2017

नेलांग घाटी (तिब्बत जाने का प्राचीन रास्ता और उत्तरकाशी में जानने वाले टूर ऑपरेटरो की लूट) की जगह दयारा बुग्याल की यात्रा (भाग-1)

जब आपके साथ कोई यात्रा करता है तो उसकी सुरक्षा की  जिम्मेदारी आपकी होती है , किसी को छोड़ कर मत भागिए 
ग्रतंग गली -नेलांग घाटी, फोटो सौजन्य : गूगल इमेज 
अभी लाहौल स्पीति की यात्रा को मुश्किल से 14 दिन ही हुए थे और बहुत भयंकर परिस्थिति से निकलने के कारण मन कही घूमने जाने का नहीं था ,लेकिन 3 महीने पहले ही हमारे ग्रुप मीटिंग के लिए ये तारिक तय थी ।मिलने का कार्यक्रम चुड़धार महादेव का बना हुआ था लेकिन ताज़ा बर्फ़बारी की और रास्ता जयादा कठिन होने की वजह से सभी सहमति से चुड़धार का मना किया और फिर नेलांग घाटी का प्रस्ताव रखा। सभी आपस में मिलना और घूमना चाहते थे इसीलिए सभी तैयार हो गए। अभी नेलांग घाटी के बारे में बताता हु आप सभी को। नेलांग घाटी 1962 के युद्ध के बाद आम इंसान के लिए बंद कर दी गयी थी। ये उत्तरकाशी जिले में है और गंगोत्री जाते वक़्त भैरो घाटी के बाद उलटे हाथ पर पुलिस चौकी के पास से इसका रास्ता है। नेलांग घाटी से तिब्बत जाने का रास्ता है। ये रास्ता जयादा तर सामान की आवाजाही के लिए इस्तेमाल होता था जैसे रेशम ,नमक। लेकिन 1962 के हिन्द-चीन युद्ध की वजह से ये घाटी बंद कर दी गयी क्योकि तिब्बत तक चीन ने जबरन अपना अधिकार जमा लिया था और इसका एक मात्र कारण हमारी कमजोर राजनितिक सरकार थी। यहाँ पर एक लकड़ी का पुल है जो सामान ले जाने के लिए इस्तेमाल होता था जिसका नाम है ग्रतांग गली और न.आई.म यानि नेहरू इंस्टिट्यूट मोंटेनेरिंग को इसके मरमत का काम दिया गया है इस साल , जिससे  आम आदमी के पर्यटन के हिसाब से शुरू की जा सके।
फोटो सौजन्य : गूगल इमेज 
यात्रा पर जाये तो मर्यादा का ध्यान रखे , माँसाहार ,शराब और कोई गलत काम ना करे जिससे वहा की पवित्रता ख़राब हो। नहीं तो प्रकर्ति अपना हिसाब लेना जानती है।

मई से लेकर नवम्बर तक ये रास्ता खुला रहता है। दिल्ली से हरिद्वार फिर उत्तरकाशी आना पड़ता है, जो 390 किलोमीटर है और फिर उत्तरकाशी से भैरो घाटी चौकी की दूरी 85 किलोमीटर है । नेलांग घाटी में जाने के लिए आपको उत्तरकाशी के उप प्रभागीय न्यायधीश और जंगल विभाग से आज्ञा लेनी पड़ती है तभी आपको भैरो घाटी की चौकी से आगे जाने की आज्ञा मिलती है। आज्ञा के लिए आप अब इंटरनेट से ऑनलाइन भी आवेदन  सकते है लेकिन फिर भी आपको वहा के किसी टूर ऑपरेटर का सहारा लेना पड़ेगा क्योकि आवेदन में आपका पहचान पत्र और टूर ऑपरेटर की जानकारी जरुरी है। 

उत्तरकाशी में कुछ टूर ऑपरेटर नेलांग या बाइक राइडिंग के नाम पर भयंकर लूट मचा रखी है। में इसकी सही कीमत जानता हु इसीलिए ऐसा बता पा रहा हु। आज्ञा के लिए आपको 150 रूपया जंगल विभाग और 500 रूपया शायद उप प्रभागीय न्यायधीश की राशि जमा करनी होती है , और वाहन की 400 रूपया। और ये लोग 7-8 हजार रूपया लुट रहे है 2 दिन रुकने, खाने और नेलांग घाटी घुमाने का एक आदमी से।  जबकि 500-1000 रुपये का शानदार होटल में कमरा मिल जाता है। अगर इनको 2 हजार रूपया भी दे दे एक इंसान की आज्ञा का क्योकि घर उनको भी चलना है उनका ये ही व्यवसाय है , तो  भी खाना , रहना और आज्ञा का मिला कर सब हिसाब लगाया ,औसतन ३ दिन का 3-4 हजार से ज्यादा खर्च नहीं आता। तो ये टूर ऑपरेटर से एक आदमी से 4 हजार रुपये की बचत कम से कम कर रहे है । लूट मचा रखी है अपना पन दिखा कर। 
लकड़ी की सीढ़ी का रास्ता। फोटो सौजन्य : गूगल इमेज 
मै एक ऐसा ऑपरेटर ढूंढ रहा हु जो जयादा कमाई के चक्कर में न हो इसीलिए जल्द ही आपके सामने सब जानकारी दूंगा जिससे आप सभी वहा घूम सके। एक उत्तरकाशी का टूर ऑपरेटर मेरे काफी दोस्त जानते है उसको और काफी दोस्तों के साथ भी जुड़ा हुआ है फेसबुक पर  ,मेरे साथ भी फेसबुक पर है लेकिन वो भी जमकर लूट रहा है इसीलिए मेने उसको unfollow कर रखा है । अगर आप पांच जन हो तो उत्तरकाशी से नेलांग घाटी और वापस उत्तरकाशी आने का खर्चा 3-4 हजार हद से हद है टैक्सी समेत , और अगर कोई इससे ज्यादा आपसे ले रहा तो वो आपको जमकर लूट रहा है। 
लाल देवता का मंदिर , फोटो सौजन्य : गूगल इमेज 
मै 13 मई को गंगोत्री ,तपोवन की यात्रा पर जाने वाला हु तो आप सब को सब सही जानकारी दूंगा की क्या कैसे करे और वेबसाइट की सब जानकारी भी दूंगा अपनी यूट्यूब के माध्यम से और ब्लॉग के माध्यम से भी । नेलोग घाटी का ऑनलाइन आवेदन शुरू होना था इसीलिए मेने पहले ही जाने का मन बना लिया था। नेलांग घाटी एक ठंडा रेगिस्तान समान घाटी है जैसे की स्पीति घाटी या लेह लदाख। यहाँ 25 किलोमीटर तक ही पर्यटक को जाने की अनुमति है और रात में यहाँ रुकने की अनुमति नहीं है। 2015 में पर्यटन के लिए खोलने से उत्तरकाशी के निवासीयो के लिए काफी रोजगार बढ़ा है लेकिन हर पहलू के नुकसान भी है। ग्रतांग गली की लकड़ी के पुल के आलावा यहाँ एक लाल देवता का छोटा सा मंदिर भी बनाया हुआ है। यहाँ पर भोइतया जाती के लोग रहते थे जिन्हे लड़ाई के वक़्त अपना गाँव छोड़ कर जाना पड़ा और भैरो घाटी में विस्थापित होना पड़ा। 

ये इतिहास और वो लकड़ी की सीढी जो पहाड़ के साथ साथ बनी हुई है , इन्होने ही प्रेरित किया घूमने के लिए  । इसीलिए मेने अपने यात्रा चर्चा नामक व्हाट्स एप्प ग्रुप में चर्चा की और दिल्ली से संदीप भाई और अखिलेश आदर्शी , मेरठ से डॉक्टर अजय , पठानकोट से डॉक्टर अनुभव, मथुरा से नरेश भाई और अमित भाई के साथ  13 अप्रैल मध्य रात्रि मेरठ घर से यात्रा प्रस्थान होने का निर्णय हुआ । अनुभव भाई का रुड़की मिलने का प्रोग्राम था। ये एक यादगार यात्रा की शुरुवात है। 

उम्मीद है आप सभी को यात्रा वृतांत अचछा लगा होगा।


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Youtube channel link: Vikas Malik – YouTube

फोटो सौजन्य : गूगल इमेज 


फोटो सौजन्य : गूगल इमेज 


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नेलांग घाटी (तिब्बत जाने का प्राचीन रास्ता और उत्तरकाशी में जानने वाले टूर ऑपरेटरो की लूट) की जगह दयारा बुग्याल की यात्रा (भाग-1)

जब आपके साथ कोई यात्रा करता है तो उसकी सुरक्षा की  जिम्मेदारी आपकी होती है , किसी को छोड़ कर मत भागिए  ग्रतंग गली -नेलांग घाटी, फोटो सौजन...